श्रेया घोषाल: सुरों की मल्लिका का सफरनामा, जानें उनके संगीत के अनसुने किस्से
श्रेया घोषाल का जन्म 12 मार्च 1984 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुआ था। उनके पिता, बिश्वजीत घोषाल, एक न्यूक्लियर पावर प्लांट में इंजीनियर थे और माँ, सरमिला घोषाल, एक साहित्य प्रेमी थीं। घर में संगीत का माहौल होने के कारण श्रेया का रुझान बचपन से ही संगीत की ओर था। चार साल की उम्र में उन्होंने गाना शुरू कर दिया और छह साल की उम्र में उन्होंने पहली बार स्टेज पर परफॉर्म किया।
साल 1995 में, श्रेया ने ज़ी टीवी के संगीत रियलिटी शो "सा रे गा मा पा" में भाग लिया। उनकी सुरीली आवाज़ और गायकी के अंदाज़ ने सभी को प्रभावित किया और वे शो की विजेता बनीं। इस शो के बाद, उन्हें बॉलीवुड में गाने का मौका मिला। संगीतकार संजय लीला भंसाली ने उन्हें फिल्म "देवदास" में गाने का अवसर दिया और "बैरी पिया" गाने से उन्होंने बॉलीवुड में धमाकेदार शुरुआत की।
"देवदास" के बाद श्रेया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने "जब वी मेट," "परिणीता," "पद्मावत," और कई अन्य फिल्मों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। उन्होंने हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, बंगाली, भोजपुरी और असमिया जैसी कई भाषाओं में गाने गाए हैं।
श्रेया ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार, और आईफा पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद, श्रेया अपने परिवार और दोस्तों के लिए समय निकाल ही लेती हैं। उन्हें पढ़ना, यात्रा करना और खाना बनाना पसंद है।
श्रेया घोषाल न सिर्फ एक बेहतरीन गायिका हैं, बल्कि एक प्रेरक व्यक्तित्व भी हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि लगन और मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।