शब-ए-मेराज की रात, रजब के 27वें दिन मनाई जाती है। इस रात मुसलमान अल्लाह की इबादत में रात गुजारते हैं, नफ्ल नमाज़ें पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं, और दुआएं मांगते हैं। इस रात को जागकर इबादत करने वालों पर अल्लाह की रहमत और बरकत बरसती है।

शब-ए-मेराज की नमाज़ कोई फ़र्ज़ नमाज़ नहीं है, बल्कि यह नफ्ल नमाज़ है। इस रात जितनी चाहें नफ्ल नमाज़ें पढ़ सकते हैं। कोई खास तरीका या रकातें निर्धारित नहीं हैं। हालांकि, कुछ लोग 12 रकात नफ्ल नमाज़ पढ़ने की सलाह देते हैं। हर दो रकात के बाद सलाम फेर ली जाती है।

इस रात की गई दुआएं कुबूल होती हैं। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि वे इस रात को अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगें, अपने लिए और अपने परिवार के लिए दुआ करें, और दुनिया और आखिरत की कामयाबी की दुआ करें।

शब-ए-मेराज मुसलमानों के लिए आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक विकास का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह हमें पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) की पैरवी करने, उनके बताए रास्ते पर चलने और अल्लाह की इबादत में लीन रहने की याद दिलाता है।

शब-ए-मेराज की रात को जागकर इबादत करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है बल्कि यह हमारे दिलों में अल्लाह के प्रति प्रेम और श्रद्धा भी बढ़ाता है। यह रात हमें अल्लाह की कुदरत और उसके रसूल की महानता का एहसास दिलाती है।

शब-ए-मेराज का संदेश यह है कि हमें हमेशा अल्लाह की याद में रहना चाहिए, उसकी इबादत करनी चाहिए और नेक काम करते रहना चाहिए। यही सच्ची कामयाबी का रास्ता है।