सीबी कैसे काम करता है? जब बाजार में एक निश्चित प्रतिशत की गिरावट होती है, तो एक्सचेंज ट्रेडिंग को कुछ समय के लिए रोक देता है। यह समय कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक हो सकता है, जो गिरावट की गंभीरता पर निर्भर करता है। भारत में, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) द्वारा सीबी तंत्र का उपयोग किया जाता है।

सीबी के विभिन्न स्तर होते हैं, जो गिरावट के प्रतिशत के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, 10% की गिरावट पर पहला स्तर का सीबी लग सकता है, जबकि 15% की गिरावट पर दूसरा स्तर का सीबी और 20% की गिरावट पर तीसरा स्तर का सीबी लग सकता है। प्रत्येक स्तर पर विराम की अवधि अलग-अलग हो सकती है।

सीबी का मुख्य उद्देश्य बाजार में घबराहट को कम करना है। जब बाजार तेजी से गिरता है, तो निवेशक घबराहट में आकर अपने शेयर बेचने लगते हैं, जिससे और गिरावट आती है। सीबी इस चक्र को तोड़ने में मदद करता है और निवेशकों को सोच-समझकर फैसले लेने का समय देता है।

सीबी के फायदे और नुकसान दोनों हैं। एक ओर, यह बाजार को स्थिर करने और निवेशकों को घबराहट से बचाने में मदद करता है। दूसरी ओर, यह ट्रेडिंग को रोक देता है और निवेशकों को नुकसान भी पहुँचा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी निवेशक को तुरंत पैसों की जरूरत है और सीबी के कारण वह अपने शेयर नहीं बेच पाता है, तो उसे नुकसान हो सकता है।

सीबी एक जटिल तंत्र है और इसके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है। इस लेख में हमने सीबी के बारे में बुनियादी जानकारी प्रदान की है। अधिक जानकारी के लिए, आप सेबी की वेबसाइट या अपने वित्तीय सलाहकार से संपर्क कर सकते हैं। याद रखें, शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा होता है और निवेश करने से पहले आपको पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

सीबी, बाजार की अस्थिरता को कम करने का एक प्रभावी तरीका है, लेकिन यह एक अस्थायी उपाय है। दीर्घकालिक में, बाजार की स्थिरता के लिए मजबूत नीतियों और विनियमों की आवश्यकता होती है।