70 के दशक में राजेश रोशन ने अपने करियर की शुरुआत की और जल्द ही अपनी अलग पहचान बना ली। "जुर्म" और "काला पत्थर" जैसी फिल्मों में उनके संगीत ने दर्शकों को दीवाना बना दिया। उनके गाने न केवल मधुर थे बल्कि उनमें एक गहराई भी थी जो सीधे दिल को छू जाती थी। किशोर कुमार और लता मंगेशकर जैसे दिग्गज गायकों की आवाज में उनके गीत अमर हो गए।

80 के दशक में राजेश रोशन का संगीत और भी परिपक्व हुआ। "खून भरी मांग" और "कर्मा" जैसी फिल्मों के गीत आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं। इस दौर में उन्होंने रोमांटिक गीतों से लेकर भावुक गानों तक, हर तरह के संगीत में अपना जादू बिखेरा। उनके संगीत में एक अनोखा सा जादू था जो हर किसी को अपना दीवाना बना लेता था।

90 के दशक में राजेश रोशन ने अपने बेटे, ऋतिक रोशन के साथ मिलकर कई सुपरहिट फिल्में दीं। "कहो ना प्यार है" और "कोई मिल गया" जैसी फिल्मों के गीत आज भी युवा पीढ़ी के बीच खासा लोकप्रिय हैं। इस दौर में उनके संगीत में एक नयापन और ताजगी देखने को मिली, जो युवाओं को खूब पसंद आई।

राजेश रोशन ने अपने संगीत से न केवल बॉलीवुड को बल्कि पूरे देश को समृद्ध किया है। उनके गीतों में प्यार, दर्द, खुशी, और हर तरह के भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। उनके संगीत ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

राजेश रोशन एक ऐसे संगीतकार हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम हासिल किया है। उनके गीतों में एक खास बात यह है कि वे हर उम्र के लोगों को पसंद आते हैं। बच्चे, बूढ़े, जवान, हर कोई उनके संगीत का दीवाना है।

राजेश रोशन के संगीत ने हिंदी सिनेमा को एक नई दिशा दी है। उन्होंने संगीत की ऐसी विरासत छोड़ी है जो हमेशा याद रखी जाएगी। उनकी धुनें, उनकी रचनाएँ, उनकी प्रतिभा, सब कुछ अद्वितीय है।

आज भी जब हम उनके गाने सुनते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे समय रुक गया हो। उनका संगीत हमें एक अलग दुनिया में ले जाता है, जहां सिर्फ संगीत और भावनाएं होती हैं। राजेश रोशन, एक ऐसा नाम जो हमेशा संगीत की दुनिया में चमकता रहेगा।