लोकेश ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत युवा तेलुगु देशम पार्टी से की। पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया और जनता से जुड़ने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने युवाओं की समस्याओं को समझा और उनके समाधान के लिए प्रयास किए। यह उनके राजनीतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने उन्हें जनता के करीब लाया।

2014 में, लोकेश ने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और 2017 में उन्हें तेलुगु देशम पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने पार्टी के संगठन को मजबूत करने और युवाओं को राजनीति में शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई युवा-केंद्रित कार्यक्रम और पहल शुरू की।

लोकेश की राजनीतिक शैली उनके पिता से अलग है। जहाँ चंद्रबाबू नायडू अनुभवी और रणनीतिकार माने जाते हैं, वहीं लोकेश एक युवा और गतिशील नेता के रूप में उभरे हैं। वे सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं और जनता से सीधे जुड़ते हैं। उनकी संवाद शैली भी युवाओं को आकर्षित करती है।

आंध्र प्रदेश की राजनीति में लोकेश की भूमिका लगातार बढ़ रही है। विपक्ष के नेता के रूप में, वे राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं और जनता के मुद्दों को उठाते हैं। किसानों की समस्या, बेरोजगारी, और राज्य के विकास जैसे मुद्दों पर वे मुखर रहे हैं।

हालांकि, लोकेश की राजनीतिक यात्रा विवादों से भी अछूती नहीं रही है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और उनकी राजनीतिक अनुभवहीनता पर भी सवाल उठाए जाते हैं। लेकिन, इन चुनौतियों के बावजूद, लोकेश अपने राजनीतिक लक्ष्यों को लेकर दृढ़ हैं।

आने वाले समय में, नारा लोकेश आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उनकी युवा पीढ़ी से जुड़ने की क्षमता और उनकी गतिशील नेतृत्व शैली उन्हें एक प्रभावशाली नेता बनाती है। देखना होगा कि वे राज्य के विकास और जनता की आकांक्षाओं को किस तरह पूरा करते हैं।

आंध्र प्रदेश के भविष्य को आकार देने में नारा लोकेश की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उनकी राजनीतिक यात्रा अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन उनके पास राज्य की राजनीति में बदलाव लाने की क्षमता है।