कुन्हा के शुरुआती करियर को देखते हुए, उनसे काफी उम्मीदें थीं। उनकी तेज़ी, गेंद पर नियंत्रण और गोल करने की क्षमता ने सबको प्रभावित किया था। कई विशेषज्ञों ने उन्हें भविष्य का सितारा बताया था। लेकिन हालिया प्रदर्शन को देखकर लगता है कि कहीं ना कहीं वो अपनी रफ़्तार खो चुके हैं। क्या ये दबाव के कारण है, या फिर किसी और वजह से, ये कहना मुश्किल है।

कुन्हा के खेल में सबसे बड़ी कमी दिखाई देती है, वो है निरंतरता की। कभी वो शानदार प्रदर्शन करते हैं, तो कभी बिल्कुल साधारण। इस अनियमितता के कारण ही वो टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पा रहे हैं। उनके प्रशंसकों को उम्मीद है कि वो जल्द ही इस कमी को दूर कर, अपनी पूरी क्षमता दिखाएंगे।

एक स्ट्राइकर के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है गोल करना, और कुन्हा इस मामले में थोड़े पीछे रह गए हैं। उनके पास मौके तो आते हैं, लेकिन वो उन्हें गोल में बदलने में नाकाम रहते हैं। क्या यह आत्मविश्वास की कमी है या फिर तकनीकी खामी, इस पर विचार करने की जरूरत है।

कुन्हा को अपनी फिटनेस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। चोटों के कारण वो कई मैचों से बाहर रहे हैं, जिसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा है। एक खिलाड़ी के लिए फिट रहना बेहद जरूरी है, खासकर जब वो उच्च स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहा हो।

कुन्हा के सामने चुनौतियाँ कम नहीं हैं, लेकिन उनमें प्रतिभा की भी कोई कमी नहीं है। अगर वो अपनी कमजोरियों पर काम करें और कड़ी मेहनत करें, तो वो फिर से अपनी पुरानी लय हासिल कर सकते हैं। फुटबॉल एक ऐसा खेल है, जहाँ कुछ भी असंभव नहीं है। कुन्हा को बस खुद पर विश्वास रखने और लगातार प्रयास करते रहने की जरूरत है। उम्मीद है कि वो जल्द ही फुटबॉल जगत में अपनी खोई हुई चमक वापस पा लेंगे और अपने प्रशंसकों को खुश करेंगे। आने वाला समय ही बताएगा कि कुन्हा उभरता हुआ सितारा बनते हैं, या फिर फीका पड़ता हुआ जादू।