माइकल ओलिवर का रेफरींग करियर 1997 में शुरू हुआ। अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने जल्द ही उच्च स्तर पर रेफरींग शुरू कर दी। 2006 में उन्होंने प्रीमियर लीग में डेब्यू किया और तब से वे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल लीग में एक प्रमुख रेफरी के रूप में जाने जाते हैं। फीफा के रेफरी के रूप में उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी अपनी सेवाएं दी हैं।

ओलिवर की रेफरींग स्टाइल को लेकर हमेशा बहस होती रही है। कुछ लोग उन्हें एक शांत और निष्पक्ष रेफरी मानते हैं, जबकि कुछ उन्हें विवादास्पद फैसलों के लिए आलोचना का पात्र मानते हैं। चैंपियंस लीग और अन्य बड़े टूर्नामेंट में उनके कुछ फैसलों ने बड़ी टीमों के प्रशंसकों और खिलाड़ियों में असंतोष पैदा किया है। खासकर VAR के आने के बाद उनके कुछ निर्णय और भी अधिक जांच के दायरे में आ गए हैं।

इन विवादों के बावजूद, ओलिवर को फुटबॉल जगत में एक सम्मानित रेफरी माना जाता है। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, और उनकी रेफरींग क्षमता को कई विशेषज्ञों द्वारा सराहा गया है। वह अपने शांत स्वभाव और दबाव में भी सही फैसले लेने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।

माइकल ओलिवर का करियर आलोचनाओं और प्रशंसाओं से भरा रहा है। उनके कुछ फैसले भले ही विवादास्पद रहे हों, लेकिन उनकी फुटबॉल के प्रति समर्पण और रेफरींग की तकनीकी दक्षता को नकारा नहीं जा सकता। यह कहना मुश्किल है कि इतिहास उन्हें किस रूप में याद रखेगा, लेकिन निश्चित रूप से उनका नाम फुटबॉल रेफरींग के इतिहास में दर्ज हो चुका है।

आगे आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि माइकल ओलिवर अपने करियर को किस दिशा में ले जाते हैं। क्या वे इन विवादों से उबर पाएंगे और अपनी रेफरींग विरासत को और मजबूत बना पाएंगे? यह तो समय ही बताएगा।