मोहनलाल: एक अभिनेता से आगे, एक किंवदंती का सफर
उनका जन्म 21 मई 1960 को एलानथूर, केरल में हुआ था। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने महात्मा गांधी कॉलेज, त्रिचूर से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। लेकिन उनकी रुचि हमेशा से ही अभिनय में थी, और यही कारण है कि उन्होंने कॉलेज के दिनों से ही नाटकों में भाग लेना शुरू कर दिया था। 1978 में, उन्होंने "थिരനോട്ടം" नामक फिल्म से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की, हालाँकि यह फिल्म बाद में रिलीज़ हुई। उनकी पहली रिलीज़ हुई फिल्म "माणिजिल विरक्कु" (1980) थी, जिसने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया।
मोहनलाल की अभिनय क्षमता अद्भुत है। वे किसी भी किरदार में पूरी तरह से ढल जाते हैं, चाहे वह एक रोमांटिक हीरो हो, एक एक्शन स्टार हो, या फिर एक कॉमेडियन। उनकी आँखों में एक गहराई है जो दर्शकों को अपनी ओर खींच लेती है। उन्होंने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, नौ केरल राज्य फिल्म पुरस्कार और कई फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं।
सिनेमा जगत में अपने योगदान के लिए, उन्हें 2001 में पद्मश्री और 2019 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। लेकिन मोहनलाल केवल एक अभिनेता ही नहीं हैं, वे एक सफल व्यवसायी, एक समाजसेवी और एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी हैं। वे कई चैरिटेबल संस्थाओं से जुड़े हैं और समाज के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
मोहनलाल के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। कड़ी मेहनत, लगन और समर्पण से ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। मोहनलाल भारतीय सिनेमा के एक ऐसे सितारे हैं जो हमेशा चमकते रहेंगे, और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेंगे। उनका जीवन एक खुली किताब है, जिससे हम सभी कुछ न कुछ सीख सकते हैं। उनके फ़िल्मी सफ़र ने सिनेमा के मानकों को नई ऊंचाई दी है, और उनकी अभिनय कला अद्वितीय है। मोहनलाल का नाम हमेशा भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा रहेगा।