केरल उच्च न्यायालय ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं जिन्होंने सामाजिक न्याय, मानवाधिकार, और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित किया है। उदाहरण के लिए, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला, जिसने देश भर में व्यापक बहस छेड़ी, इसी न्यायालय द्वारा सुना गया। इसी तरह, पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कई मामलों में भी इस न्यायालय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

न्यायालय के फैसलों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ये फैसले न केवल कानूनी ढांचे को आकार देते हैं, बल्कि सामाजिक मानदंडों और व्यवहारों को भी प्रभावित करते हैं। उच्च न्यायालय के फैसलों से सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों का निर्धारण भी होता है।

केरल उच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पारदर्शिता और दक्षता पर आधारित है। न्यायालय नवीनतम तकनीक का उपयोग करके अपनी कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाता है और जनता को आसानी से जानकारी उपलब्ध कराता है। ई-फाइलिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी सुविधाओं ने न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बनाया है।

हाल के वर्षों में, केरल उच्च न्यायालय ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं, जिनमें भूमि अधिग्रहण, शिक्षा का अधिकार, और सूचना का अधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन फैसलों ने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की है और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया है।

केरल उच्च न्यायालय न्यायिक सक्रियता के लिए भी जाना जाता है। यह न्यायालय सामाजिक समस्याओं के समाधान में प्रोत्साहन भूमिका निभाता है और सरकार को जवाबदेह बनाता है।

आने वाले समय में, केरल उच्च न्यायालय की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होने वाली है। बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में, न्यायालय को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और नए कानूनी सिद्धांतों का विकास करना होगा।

केरल उच्च न्यायालय अपने गौरवशाली इतिहास और प्रभावशाली कार्यप्रणाली के साथ भविष्य में भी न्याय और समानता के लिए एक मजबूत आधार बना रहेगा।