उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कुलदीप ने कम उम्र में ही क्रिकेट के प्रति अपना जुनून दिखाया। उनकी असामान्य गेंदबाजी शैली ने जल्द ही चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें भारतीय अंडर-19 टीम में जगह मिली। 2012 के अंडर-19 विश्व कप में उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने का मार्ग प्रशस्त किया।

2014 में टी20 अंतरराष्ट्रीय और 2017 में एकदिवसीय क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद, कुलदीप ने अपनी फिरकी से बल्लेबाजों को परेशान करना शुरू कर दिया। उनकी गुगली और फ्लिपर गेंदों ने बल्लेबाजों को चकमा दिया और उन्हें कई विकेट दिलाए। कुलदीप ने कई मैच विनिंग प्रदर्शन किए और भारत को कई जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

हालांकि, कुलदीप का सफर आसान नहीं रहा है। चोटों ने उनके करियर को कई बार प्रभावित किया है। कंधे और घुटने की चोटों के कारण उन्हें कई मैचों से बाहर रहना पड़ा, जिससे उनकी फॉर्म पर भी असर पड़ा। उनके प्रदर्शन में गिरावट के कारण उन्हें टीम से बाहर भी होना पड़ा।

लेकिन कुलदीप ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत की और अपनी गेंदबाजी में सुधार किया। घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें फिर से भारतीय टीम में मौका मिला। कुलदीप ने वापसी करते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और टीम में अपनी जगह पक्की की।

कुलदीप यादव की कहानी संघर्ष, प्रतिभा, और दृढ़ता की एक मिसाल है। उनका सफर युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह साबित करता है कि कड़ी मेहनत और लगन से कोई भी मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकल सकता है। कुलदीप की गेंदबाजी कला भारतीय क्रिकेट के लिए एक अनमोल संपत्ति है, और उम्मीद है कि वह आने वाले समय में और भी शानदार प्रदर्शन करेंगे।

कुलदीप की क्षमता को देखते हुए उनसे भारतीय टीम को काफी उम्मीदें हैं। आगामी विश्वकप में उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी। उनकी गेंदबाजी विपक्षी टीमों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकती है। कुलदीप के जुझारू स्वभाव और never give up वाली attitude से साफ़ है की वो आने वाले समय में भारतीय टीम की जीत में अहम् भूमिका निभाएंगे।