काले-सफेद टीवी से लेकर रंगीन टीवी तक, दूरदर्शन ने भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक लंबा सफर तय किया है। शुरुआती दौर में सीमित कार्यक्रमों के बावजूद, दूरदर्शन हर घर का अभिन्न अंग बन गया था। रविवार की सुबह चित्रहार देखना और शाम को रंगोली, ये सब आज भी यादों में ताज़ा हैं। खेल, समाचार, कृषि दर्शन, ये कार्यक्रम न सिर्फ़ जानकारी देते थे बल्कि देश के कोने-कोने को एक सूत्र में बांधते थे।

दूरदर्शन सिर्फ़ मनोरंजन का साधन नहीं था, बल्कि शिक्षा का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम था। स्कूल के बाद "गली गली सिम सिम" देखकर बच्चों ने न सिर्फ़ मज़ा किया बल्कि बहुत कुछ सीखा भी। "उड़ान" जैसे कार्यक्रमों ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया। दूरदर्शन ने कई प्रतिभाशाली कलाकारों को भी मंच प्रदान किया जिनकी कलाकारी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।

आज भले ही कई निजी चैनल आ गए हों, और इंटरनेट ने मनोरंजन के कई नए विकल्प दे दिए हों, लेकिन दूरदर्शन की यादें आज भी हमें एक अलग ही खुशी देती हैं। वो साधारण सा लोगो, वो मधुर संगीत, और वो पारिवारिक माहौल, आज भी हमारे दिलों में एक खास जगह रखता है। दूरदर्शन ने हमें एक साथ बैठकर हँसना, रोना, और जीवन के अलग-अलग रंगों को महसूस करना सिखाया।

दूरदर्शन के कार्यक्रमों में एक सादगी थी, एक खरापन था, जो आज कल कहीं खो सा गया है। वो बिना किसी भड़कीलेपन के, सीधे दिल तक पहुँच जाते थे। उनमें एक अपनापन था, जो आज के ज़माने में कम ही देखने को मिलता है। दूरदर्शन के सुनहरे दिनों की यादें आज भी हमें मुस्कुराने पर मजबूर कर देती है।