भारतीय समाज में, सदियों से बेटियों को कमतर समझा जाता रहा है। उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता रहा है और घर की चारदीवारी में कैद रखने की परंपरा रही है। इसी सोच को बदलने के लिए 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान की शुरुआत की गई। यह अभियान बेटियों के प्रति समाज के नजरिए को बदलने और उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास करता है।

यह अभियान केवल बेटियों को बचाने और उन्हें शिक्षित करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें समाज में समान अवसर प्रदान करने पर भी ज़ोर देता है। यह सुनिश्चित करता है कि बेटियों को भी बेटों के समान अधिकार मिलें और वे अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग कर सकें।

बेटियों की शिक्षा एक महत्वपूर्ण कदम है जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है और उन्हें अपने भविष्य का निर्माण करने में सक्षम बनाता है। एक शिक्षित बेटी न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक मूल्यवान संपत्ति होती है। वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में योगदान दे सकती है और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत, सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जो बेटियों की शिक्षा और उनके कल्याण के लिए समर्पित हैं। इन योजनाओं के माध्यम से, बेटियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें और अपने सपनों को साकार कर सकें।

इस अभियान की सफलता के लिए समाज के हर वर्ग की भागीदारी आवश्यक है। हमें अपनी मानसिकता को बदलने की जरूरत है और बेटियों को बोझ नहीं, बल्कि एक अनमोल तोहफा समझने की जरूरत है। जब तक हम बेटियों को बेटों के समान सम्मान और अवसर नहीं देंगे, तब तक समाज का विकास अधूरा रहेगा।

'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' एक आशा की किरण है जो एक बेहतर भविष्य की ओर इशारा करती है। यह एक ऐसा भविष्य है जहां बेटियां अपनी पूरी क्षमता से जी सकती हैं, अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं और समाज के विकास में अपना योगदान दे सकती हैं। यह अभियान एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयास है जहाँ लिंग भेदभाव का कोई स्थान नहीं है और जहाँ हर बेटी को जीने, सीखने और विकसित होने का समान अधिकार है।

आइए, हम सब मिलकर इस अभियान को सफल बनाएं और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ हर बेटी सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त हो।