बेसिल का जन्म केरल के एर्नाकुलम में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा राजगिरी स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से पूरी की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें फिल्म निर्माण का शौक लगा और उन्होंने छोटी-छोटी फिल्में बनाना शुरू कर दिया। उनकी शुरुआती फिल्मों ने कई पुरस्कार जीते और उन्हें फिल्म उद्योग में पहचान दिलाई।

2015 में, बेसिल ने अपनी पहली फीचर फिल्म "कुंजिरामायणम" का निर्देशन किया, जिसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया। फिल्म की अनोखी कहानी, हास्य और बेसिल के निर्देशन की खूब तारीफ हुई। इसके बाद उन्होंने "गॉड्हा" और "मिन्नल मुराळी" जैसी सफल फिल्में बनाईं, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को और भी ऊंचाइयों पर पहुँचाया। "मिन्नल मुराळी" ने तो नेटफ्लिक्स पर रिलीज होकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा बटोरी।

बेसिल सिर्फ एक निर्देशक ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन लेखक और अभिनेता भी हैं। उन्होंने अपनी कई फिल्मों की कहानी खुद लिखी है और कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया है। उनका अभिनय स्वाभाविक और प्रभावशाली होता है, जो दर्शकों को अपनी ओर खींच लेता है। उनकी आवाज़ भी मधुर है और उन्होंने कुछ गाने भी गाए हैं।

बेसिल की फिल्मों में एक खास बात यह है कि वे साधारण लोगों की कहानियों को अनोखे अंदाज में पेश करते हैं। वे अपनी फिल्मों में हास्य का प्रयोग बखूबी करते हैं, जो दर्शकों को गुदगुदाता है। साथ ही, वे तकनीकी रूप से भी काफी दक्ष हैं और अपनी फिल्मों में नए-नए प्रयोग करते रहते हैं।

बेसिल जोसेफ मलयालम सिनेमा के एक उभरते सितारे हैं, जिनकी प्रतिभा की चर्चा हर जगह हो रही है। उनकी फिल्मों में दिखाई देने वाली ताजगी, रचनात्मकता और तकनीकी दक्षता उन्हें अगली पीढ़ी के फिल्मकारों के लिए एक प्रेरणा बनाती है। उनकी आने वाली फिल्मों का दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि वे आगे भी ऐसी ही बेहतरीन फिल्में बनाते रहेंगे और मलयालम सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। बेसिल का सफर वाकई प्रेरणादायक है और यह दर्शाता है कि लगन और मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।