नो-बॉल का दबाव किसी भी गेंदबाज के लिए भारी पड़ सकता है। खासकर जब वो दबाव भरे मैच में हो और टीम को आपसे उम्मीदें हों। अर्शदीप के लिए भी ये दौर आसान नहीं था। सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की बाढ़ आ गई थी और उनके आत्मविश्वास पर भी असर पड़ रहा था। लेकिन अर्शदीप ने इस नकारात्मकता को खुद पर हावी नहीं होने दिया।

उन्होंने नेट्स पर कड़ी मेहनत की और अपने एक्शन पर ध्यान दिया। कोचिंग स्टाफ और सीनियर खिलाड़ियों का भी उन्हें पूरा समर्थन मिला। कप्तान रोहित शर्मा ने भी उन पर भरोसा जताया और उन्हें लगातार मौके दिए। अर्शदीप ने भी इस भरोसे को तोड़ा नहीं।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज में अर्शदीप ने शानदार वापसी की। उन्होंने अपनी लय हासिल की और अपनी यॉर्कर गेंदों से बल्लेबाजों को परेशान किया। उन्होंने न सिर्फ विकेट लिए बल्कि किफायती गेंदबाजी भी की। इस प्रदर्शन ने उनके आलोचकों को चुप करा दिया और उनके प्रशंसकों को खुशी से झूमने का मौका दिया।

अर्शदीप की कहानी हमें यही सिखाती है कि असफलता जीवन का एक हिस्सा है। महत्वपूर्ण ये है कि हम उससे कैसे निपटते हैं। अर्शदीप ने नो-बॉल की समस्या से घबराने के बजाय उसका डटकर सामना किया और अपनी मेहनत से वापसी की। उनका ये जज्बा युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक है।

अर्शदीप जैसे प्रतिभाशाली गेंदबाज भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं। उन्हें आगे भी इसी तरह मेहनत करते रहना होगा और अपनी गेंदबाजी को निखारते रहना होगा। उम्मीद है कि वो आने वाले समय में भारतीय टीम के लिए और भी मैच जिताऊ प्रदर्शन करेंगे और देश का नाम रोशन करेंगे। उनका यह सफर साबित करता है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।