अंधेरे से डरना एक आम बात है, जिसे निक्टोफोबिया भी कहते हैं। यह डर अक्सर बचपन में शुरू होता है और बड़े होने पर भी बना रह सकता है। कई बार यह डर इतना गहरा होता है कि रात को सोने में भी दिक्कत आने लगती है। अंधेरे में अकेले रहने का ख्याल ही दिल की धड़कनें तेज कर देता है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि इस डर से निपटा जा सकता है।

अंधेरे के डर को कम करने के कई तरीके हैं। सबसे पहले तो यह समझना ज़रूरी है कि अंधेरा कोई भयानक चीज़ नहीं है। यह बस प्रकाश की अनुपस्थिति है। हम अपने मन को समझा सकते हैं कि अंधेरे में भी कुछ भी बुरा नहीं होने वाला। धीरे-धीरे अंधेरे में समय बिताने की कोशिश करें। शुरू में कमरे में एक छोटी सी लाइट जलाकर रखें और धीरे-धीरे उसे कम करते जाएँ।

इसके अलावा, सोने से पहले मन को शांत करने वाली गतिविधियाँ करें, जैसे गहरी साँस लेना, ध्यान लगाना या हल्का संगीत सुनना। अपने बेडरूम को आरामदायक और शांत बनाएँ। सोने से पहले कोई अच्छी किताब पढ़ें या अपने किसी करीबी से बात करें। इन सब छोटी-छोटी चीज़ों से आपके मन को शांति मिलेगी और अंधेरे का डर कम होगा।

कभी-कभी अंधेरे का डर किसी गहरे मनोवैज्ञानिक कारण से भी जुड़ा हो सकता है। ऐसे में किसी मनोचिकित्सक से सलाह लेना ज़रूरी होता है। वह आपकी समस्या को समझकर उसका सही इलाज बता सकते हैं। याद रखें, अंधेरे से डरना कोई शर्म की बात नहीं है। यह एक आम समस्या है और इससे निपटा जा सकता है।

अंधेरे से दोस्ती करना सीखें। यह सोचें कि अंधेरा हमें आराम और शांति देता है। यह हमें दिन भर की थकान से उबरने और अगले दिन के लिए तैयार होने का मौका देता है। अंधेरा हमें सितारों की चमक और चाँद की रोशनी का आनंद लेने का भी अवसर देता है।

तो अगली बार जब आप अंधेरे में हों, तो डरने की बजाय उसे अपनाएँ। इसमें खो जाएँ और इसकी खूबसूरती को महसूस करें। आप पाएँगे कि अंधेरा भी उतना बुरा नहीं है जितना आप सोचते हैं।